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Monday, June 25, 2018

अंबुबाची मेला असम दिनांक २६.०६.२०१८

असम के अंबुबाछी मेले 


पूर्वोत्तर भारत के प्रवेश दुयर कहे जाने वाले गुवाहाटी नगर के नीलाचल पाहार पर स्थित कामाख्या माँ के मंदिर देश के प्रमुख शक्ति  पीठो मे से एक हे। माता के ईक्यावन शक्ति पीठ मे से प्रमुख इस शक्ति पीठ मे अंबुबची मेले की दिन पूरे भारत से दर्शनार्थियों का भीर का जमावरा लग जाता हे ।आकरे के हिसाब से नज़र डाले तो इसी उत्सव के दौरान  गुवाहाटी शहर सअबसे ज्यादा ब्यस्त दिखाई देता हे । सैलानी इतने तादात मे आते हे की भीर को काबू  करना मुसकिल सा हो जाता हे । आप सोच रहे होंगे के इसि उत्सव मे क्यूँ ?

ऐसी मान्यता हे की ज्येस्था महिना के इसी दिन के दौरान मंदिर के गर्भ गृह मे माता का मासिक धर्म आराम होता हे  और नीलाचल पाहर के पास से बहने वाली भारत की एकमात्र नद ब्रह्मपुत्र का पानी लाल रंग  होने लगता हे । लेकिन बीते कुछ सालो मे साधक और तांत्रिको का कहना हे की पहली की तरह पानी लाल नहीं दिखाई देता । इस दौरान माँ के मंदिर के प्रवेश द्वार बंद रहते हे और किसिकों अंदर जाने की अनुमति नहीं रहती ।पास के भूतनाथ शमशान मे ये तांत्रिक और साधक इस उत्सव के दौरान तंत्र मंत्र की साधना मे विलीन रहते हे ।पुरानो मे इसका वर्णन हे की जब माता सती के शरीर के टुकड़े हो गए थे तो उनका योनि अंग यहा आके गिरा था । फलस्वरूप पूरे भारत मे ये एकमात्र मंदिर हे जहा माँ के ये  अनोखी चमत्कार देखनों को मिलते हे । तांत्रिक और साधक और भक्तो का मानना हे माँ  को इस् महीने पूजने का लाभ अन्य महीने से ज्यादा होता हे । माँ कामाख्या को तंत्र मंत्र का स्वामिनी भी कहा जाता हे । बहरहाल इसीलिए तांत्रिक और साधक यहा प्रतिवर्ष इस उत्सव मे भाग लेने के लिए लिए  हे ।यह मंदिर भारत के महाकाव्य महाभारत काल से अपने साथ प्राचीन इतिहास को समेटे उसी स्थिति मे मजबूत खड़ी हे । देश के पार अब विदेशो मे भी इसके चर्चे होने लगे हे।  मेले के दौरान माँ के दर्शन मात्र से हर मांगी मुरात पूरी हो जाती हे । यहा जो भी माँ के दर्शन के लिए आते हे उन्हे कभी निराशा नहीं होता ।सालो से चलती आरही इस आस्था भक्ति मान्यता और कहानियो मे समेटे हे माँ शक्ति के कामाख्या रूप मे यहा मंदिर।
जय माँ कामाख्या




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